श्री चन्दर जी महाराज का रहस्यमय तरीके से जन-कल्याण

श्री चन्दर जी महाराज

यहां राजाओं का बुरा हाल देखकर आपके मन में दुख हुआ। जब महाराज ने महाराणा प्रताप के बारे में सुना कि वह जुल्म से खूब टक्कर ले रहा है और अपनी शान को बरकरार रखे हुए है, हिंदु धर्म की लाज रख रहा है। यह सुनकर आप बहुत प्रसन्न हुए और महाराणा प्रताप से मिलने का फैसला किया।

बाबा श्री चंद जी के जीवन के अलौकिक चमत्कार

भगवान श्री चंद जी

जैसे ही वह जल से बाहर आए तो देखा कि वह किसी और ही स्थान पर पहुंच गए हैं। उन्होंने देखा कि आसपास बहुत चहल-पहल है। बहुत से लोग इधर-उधर आ-जा रहे थे। उन्होंने एक मुसाफिर से पूछा कि “यह कौन सा स्थान है।” उसने जवाब दिया कि “इस स्थान को जगन्नाथपूरी कहते हैं।” कमलिया जी यह सुनकर हैरान रह गए और आश्चर्य से इधर-उधर देखने लगे। वह बहुत खुश भी हुए।

भगवान श्री चन्द जी के जीवन की रहस्मय घटनाएं

भगवान श्री चंद जी

बाबा श्री चन्द जी महाराज लाहौर से सुल्तानपुर जाते हुए एक मानियाले नाम के गांव में ठहरे। गांव के पास ही एक पेड़ के नीचे खड़े खड़े उनकी समाधि लग गई और वह परमात्मा की याद में जुड़ गए।

शिव पुराण की कथा: पापी स्त्री चंचुला को शिवलोक की प्राप्ति (अध्याय २-५)

शिव

समुद्र के निकटवर्ती एक गांव था। जिसका नाम वाष्कल था। इस गांव के लोग दुष्ट प्रवृत्ति के मालिक थे। इनका किसी भी धार्मिक कार्य से कोई लेना-देना नहीं था। यह ना तो देवताओं पर विश्वास करते थे और ना ही भाग्य पर। यह लोग खेती करते थे। परंतु साथ में अस्त्र और शास्त्र भी रखते थे। धर्म और न्याय से इनका कुछ लेना-देना नहीं था। वह सदा ही भोगों में डूबे रहते थे। यहां की स्त्रियां भी कुटिल, दुष्ट, नीच विचार वाली थीं। यह एक गांव नहीं दुष्टों का निवास स्थान था।

शिव पुराण कथा सुनने से घोर पापी को शिवलोक की प्राप्ति (अध्याय-1)

शिव पुराण कथा

एक दिन देवराज घूमता-घूमता झूसी-प्रयाग में पहुंच गया। झूसी-प्रयाग को पहले पृष्ठानपुर कहा जाता था। वहां उसने एक शिवालय देखा जिसमें बहुत सारे साधु महात्मा एकत्र हुए थे। देवराज उस शिवालय में चला गया और वहीं पर रहने लगा।

बादशाह जहांगीर का मरा हुआ पुत्र फिर जीवित हो उठा

बादशाह जहांगीर

एक दिन लाहौर में अपने दरबार में बैठे हुए बादशाह जहांगीर ने अपने मुरशद साईं मियां मीर जी से यह पूछा कि जिस प्रकार मैं हिंदुस्तान का बादशाह हूँ। इसी प्रकारआप फकीरों में भी आपका कोई ना कोई बादशाह होगा। जो जपि तपी त्यागी और ब्रह्मचारी होगा।

दिवाली का त्यौहार: सिख और हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार

दिवाली

दिवाली का त्यौहार जिसे सिख धर्म में बंदीछोड़ दिवस के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार श्री रामचंद्र जी लक्ष्मण और माता सीता के साथ अयोध्या लौटे थे।

भगवान श्री चंद्र जी महाराज और २० मील लम्बी बाजू की अविश्वसनीय घटना

भगवान् श्री चंद्र जी महाराज

श्री चंद्र जी महाराज गुरु नानक देव जी के बड़े पुत्र थे। बचपन से ही श्री चंद्र जी महाराज समाधि की अवस्था में रहते थे। माना जाता है के श्री चंद्र जी महाराज शिव जी के अवतार हैं। उन्होंने हिस्दुस्तान में उदासीन सम्प्रदाय की शुरुआत की। वे एक महान त्यागी बाल ब्रह्मचारी शक्तियों के भंडार थे।

श्री चंद्र जी महाराज – गुरु नानक पुत्र और शिव अवतार-१

भगवान श्री चंद्र जी महाराज

श्री चंद्र जी गुरु नानक के ज्येष्ठ पुत्र थे। उनका जन्म बेदी कुल, सुलतानपुर लोधी, जिला कपूरथला, पंजाब में 1551 बिक्रमी को हुआ। उनकी माता का नाम सुलक्खनी जी था। श्री चंद्र जी का जन्म उस समय हुआ जब हिंदुस्तान पर जुल्म के काले बादल छाए हुए थे। बाबर के अधीन सारा हिंदुस्तान उस समय जल रहा था।

रावण : एक महात्मा या एक दुष्ट ?

रावण

सुना है कि रावण जैसा खूबसूरत मनुष्य पुरे विश्व में नहीं था। उसका कद्द 8 फुट के आस पास था। शरीर बहुत ही बलवान और रिष्ट- पुष्ट था। वह जब चलता था तो सब उसकी रोहबदार चाल देख कर मोहित हो जाते थे। उसका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि कोई भी प्रभावित होने से नहीं रह पता था।